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राजा और चोर by Sanjay Sinha

  राजा और चोर —————— चोर का भरोसा दो कारणों पर टिका होता है। उम्मीद और किस्मत। पर राजा का भरोसा तो पुरुषार्थ, विवेक, न्याय और तर्क पर ही होना चाहिए। जब राजा भी उम्मीद और किस्मत पर भरोसा कर बैठता है तो फिर उसमें और चोर में अधिक फर्क नहीं रह जाता। ऐसा नहीं है कि किस्मत राजा का साथ नहीं देती। पर राजा किस्मत के भरोसे प्रजा को नहीं छोड़ सकता। प्रजा की किस्मत तय होती है राजा के पुरुषार्थ, न्याय, विवेक और तर्क से। अब आप कहेंगे कि संजय सिन्हा आप आजकल उपदेश बहुत देने लगे हैं। नहीं, मैं उपदेश नहीं दे रहा। मैं तो सिर्फ ये बता रहा हूं कि जो राजा किस्मत के भरोसे होते हैं, उन पर चोर हावी हो जाते हैं। चोर हावी हो जाते हैं तो राजा को भले लगे कि उनका घोड़ा उड़ने लगेगा, हकीकत में चोर का घोड़ा उड़ता है। घोड़ा उड़ता है? कैसे संजय सिन्हा? देखिए, भोले न बनिए। संजय सिन्हा ने पहले भी आपको ये कहानी सुनाई है, फिर सुना रहे हैं तो इसलिए ताकि आप चोर और राजा में अंतर करना सीख जाएं। एक राज्य में एक चोर था। एकदिन वो चोर पकड़ा गया। राजा के दरबार में पेश किया गया। राजा ने कहा कि तुम्हें जीने का कोई हक नहीं। भरे दरबार म

पूस्तक का नाम:- एक दुआ की मौत

    पूस्तक का नाम :- एक दुआ की मौत लेखक :- फारूक अंसार अनुवादक :- मोहम्मद शब्बिर अली   गिली लकड़ी सुखी लकरी   कई रोज़ की मूसलाधार बारिश ने ज़मीन पर हर सामंत एक सफ़क आयना पीछा दिया था   ईस के घर में भी जगह बॉ जगह फ़ुश छपर से पानी टपक टपक कर जमा हो गया था   घर की दीवारें भी कुछ नीचे से कुछ ऊपर से गिली हो गयी थी। ईस वजह से एक तरफ़ की दीवार ढह गयी थी   सूरज की रोशनी ईस तरह आयी तो घर में ज़िन्दगी की किरने फट परे। कलाश्री ने अपने बीमार बेटे को उम्मीद भरी नज़रों से देखा ईसे इसमें ज़िन्दगी के रमाक नज़र आयीं इस ने ख़ामोशी की ज़बान में अपने पति जीतन माँझी से कहा जाओ डॉक्टर से दावा ले आओ जीतन माँझी तेज़ी से दूसरे कमरे में गया इसमें रखे लकरियाँ का जायज़ा लिया ओर भगवान का शुक्रिया अदा किया लकरियाँ गिली ना हुयी थी   इसने कलेश्री को आवाज़ दिया ओर दोनो मिलकर लकरियाँ का गठा बनाने लगे ज़रा जल्दी जल्दी करो सुक़ुर - सुक़ुर मत