राजा और चोर by Sanjay Sinha
राजा और चोर —————— चोर का भरोसा दो कारणों पर टिका होता है। उम्मीद और किस्मत। पर राजा का भरोसा तो पुरुषार्थ, विवेक, न्याय और तर्क पर ही होना चाहिए। जब राजा भी उम्मीद और किस्मत पर भरोसा कर बैठता है तो फिर उसमें और चोर में अधिक फर्क नहीं रह जाता। ऐसा नहीं है कि किस्मत राजा का साथ नहीं देती। पर राजा किस्मत के भरोसे प्रजा को नहीं छोड़ सकता। प्रजा की किस्मत तय होती है राजा के पुरुषार्थ, न्याय, विवेक और तर्क से। अब आप कहेंगे कि संजय सिन्हा आप आजकल उपदेश बहुत देने लगे हैं। नहीं, मैं उपदेश नहीं दे रहा। मैं तो सिर्फ ये बता रहा हूं कि जो राजा किस्मत के भरोसे होते हैं, उन पर चोर हावी हो जाते हैं। चोर हावी हो जाते हैं तो राजा को भले लगे कि उनका घोड़ा उड़ने लगेगा, हकीकत में चोर का घोड़ा उड़ता है। घोड़ा उड़ता है? कैसे संजय सिन्हा? देखिए, भोले न बनिए। संजय सिन्हा ने पहले भी आपको ये कहानी सुनाई है, फिर सुना रहे हैं तो इसलिए ताकि आप चोर और राजा में अंतर करना सीख जाएं। एक राज्य में एक चोर था। एकदिन वो चोर पकड़ा गया। राजा के दरबार में पेश किया गया। राजा ने कहा कि तुम्हें जीने का कोई हक नहीं। भरे दरबार म